Durga Chalisa | नवरात्रि विशेष | श्री दुर्गा चालीसा 2024।

आप सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, हम आप सभी के लिए साझा कर रहे हैं पवित्र Durga Chalisa श्री दुर्गा चालीसा जो आपके मन को भक्ति भाव से भर देगा दुर्गा चालीसा नवरात्रि के अतिरिक्त  भी का प्रत्येक दिन पाठ करते रहना चाहिए  चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा अपने भक्त से हमेशा प्रसन्न रहती हैं ।

नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ दुर्गा से आस लगाये भक्तों  की भक्ति को माँ तक पहुचाने के लिए दुर्गा चालीसा पाठ एक  आवश्यक माध्यम है, आपके मन हर बात को जान लेने वाली आपके दुखों को हर लेने वाली आपके जीवन में उजाला करने वाली के चालीसा का आप हम सब मिलकर आज करते हैं ।

इस पोस्ट में शामिल हैं

Sri Durga Chalisa

।। दोहा।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।

durga chalisa

।। चौपाई।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।

निराकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।

शशि ललाट मुख महा विशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।

रूप मातुको अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे ।।

तुम संसार शक्ति मय कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ।।

अन्नपूरना हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।

प्रलयकाल सब नासन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।

Durga Chalisa In hindi

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शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।

रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माही।
श्री नारायण अंग समाहीं । ।

durga chalisa

क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।
दयासिंधु दीजै मन आसा ।।

हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी ।।

मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।

केहरि वाहन सोहे भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।

Durga chalisa lyrics

durga chalisa

कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ।।

सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।

नगर कोटि मे तुमही विराजत।
तिहुं लोक में डंका बाजत ।।

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे ।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अधिभार मही अकुलानी ।।

रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।

durga chalisa

परी गाढ़ संतन पर जब-जब।
भई सहाय मात तुम तब-तब ।।

अमरपुरी औरों सब लोका।
जब महिमा सब रहे अशोका ।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।

Durga chalisa PDF

प्रेम भक्त से जो जस गावैं।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।

durga chalisa

ध्यावें जो नर मन लाई ।
जन्म मरण ताको छुटि जाई ।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।

शंकर आचारज तप कीन्हों ।
काम क्रोध जीति सब लीनों ।।

निसदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।

शक्ति रूप को मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।

मोको मातु कष्ट अति घेरों ।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।

आशा तृष्णा निपट सतावै।
रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।।

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।

durga chalisa

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।

जब लगि जियौं दया फल पाऊं।
तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।

दुर्गा चालीसा जो गावै ।
सब सुख भोग परम पद पावै।।

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।

।। दोहा।।
शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक ।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।

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