Desh bhakti shayari in Hindi दोस्तों देश के आजादी का जश्न मनाया जा रहा है और बात Desh bhakti की न हो ये हो ही नहीं सकता और देश भक्ति शायरी हिंदी का जिक्र न हो ये कैसे हो सकता है, हम वीर शहीदों के बलिदानों को कैसे भुला सकते हैं जिन्होंने भारत देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति बिना किसी शर्त के दे दी थी।
दोस्तों यह दिन हमें बहुत कुर्बानियों के बाद आया है, इसके खातिर हमारी महान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया है जिन्हें हम मात्र महसूस कर सकते हैं और उनके गाथाओं को अपने आने वाली पीढ़ियों को सुना सकते हैं, न जाने वो कैसा मंजर रहा होगा जब हमारे हमारे शहीद वतन के खातिर कुर्बान हो गए ।
दोस्तों आज उन्हें याद करने का दिन है उनके बलिदानों से कुछ सीखने का दिन है, तो आइये मिलकर हम सब इस मौके पर Desh bhakti shayari in Hindi, Desh bhakti shayari, Desh bhakti Images in hindi और देशभक्ति शायरी इन हिंदी के सुने अनसुने शब्दों के कल्पनाओं का आनंद लेते हैं और अपने वीर शहीदों को याद कर नमन करते हैं।
Best Desh bhakti shayari in Hindi
लहू मेरे जिगर का कुछ काम तो आया
शहीदों में सही लवों पर नाम तो आया।
जाँ से प्यार वतन इस की शान के खातिर
जब मर तो इस दिल को आराम तो आया।।

बलिदानों की ज्वाला जलाए रखना,
लहराता तिरंगा यूं ही उठाये रखना
जान जाए तो जाये कोई गम नहीं
देश पर कुर्बानियों का मातम न कर
मौत के बाद भी खुद को मुस्कराए रखना।
न झुकने देना कभी इसके मान को,
न मिटने देना कभी इसकी शान को।
चाहे कुर्बान करनी पड़े जान को।।
अपने सीने से इसको लगाए रखना
ये तिरंगा यूं ही उठाये रखना।
इन रंगों में बलिदानों का रंग तुम्हे मिल जायेगा,
ओढ़ तिरंगा निकलोगे तो अहसास तुम्हे हो जाएगा।
कितनो ने इसके खातिर खुद को सूली चढ़ा दिया,
इतिहास के पन्नो में पढने को मिल जायेगा ।।
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काश मरने के बाद भी वतन के काम आता
शहीदों के दुनिया में अपना भी नाम आता
हंस के लुटा देते जान इस वतन के लिए
कोई फिक्र नहीं होती गर ऐसा मुकाम आता।।
आपके सीने में जोश भर देने वाली शायरी ।
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अब है तुम्हारा फर्ज इसे आगे लेकर जाना है,
इस झंडे को दुश्मन की छाती पर फहराना है।।
राज तिलक और भगत गुरु ने लहू से अपने सींचा है,
तब जाके हरा-भरा अपना आज बगीचा है ।।
इसकी शान निराली है
इसकी पहचान निराली है
इसपर जाँ जो मिट जाए
ऐसी जाँ फिर किस्मत वाली है।।
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Desh bhakti shayari
झुकने न देंगे तेरे स्वाभिमान को
चाहे दावं पर लगानी पड़े जान को
हम मिट गए तो कुछ गम नहीं
मिटने न देंगे तेरी पहचान को ।।
मर मिटेंगे हम अपने वतन के लिए ,
जान कुर्बान है प्यारे चमन के लिए
हमसे हमारी अब हसरत न पूछो
बाँध रखा सर पे तिरंगा कफ़न के लिए ।।
इसके वाश्ते अपनी जाँ तक लुटा देंगे हम
हमसे टकराए तो उसकी हस्ती मिटा देंगें हम
सर हिमालय का हम न झुकने देंगे कभी
इसकी चोटी पर तिरंगा फहरा देंगे हम ।।
अब लहू से इस चमन को सीचेंगे हम
इसके खातिर जवानी लुटा जायेंगे
कोई दुश्मन की नजर लगे न इसे
इसके सदके में खुद को बिछा जायेंगे।।
ये जोश कभी कम नहीं होगा,
वीरों के बलिदानों से आया है।
कितनो ने लहू बहाया है,
तब जा के तिरंगा पाया है ।।
देशभक्ति शायरी हिंदी में ।
है जान जब तक मेरे सीने में हमारी ,
वतन की शान को न मिटने देंगे।
हम वीर सपूत हैं हम बलिदानी हैं
अपने इस चमन को लहू से सीच देंगे ।
इन रगो में बहता लहू है बस वतन परस्ती की
है सीने में जलती ज्वाला इसके हस्ती की
कोई लहर उसे क्या बहा लियेगी गह्ररी धारा में
हम जैसे पतवार रहें जिस भी कस्ती की ।।
चाहे जान की बाजी लगा देंगे हम
दुश्मनों को वतन से मिटा देंगे हम
है कसम इस तिरंगे की वतन के लिए
ये तिरंगा उनके सीने पर लहरा देंगे हम।
कतरा-कतरा मेरे लहू का
इस वतन के काम आएगा
मेरे जाने के बाद भी तिरंगा
हिमालय पर ऐसे मुस्कराएगा।
मिट कर भी दिल में है वतन की उल्फत
मौत भी हमसे पहले हमारी रजा मांगती है
इसके रखवाले हम जैसे शेर-ए-जिगर हैं
हर माँ हमारी सलामती की दुआ मांगती हैं।
वतन परस्ती का जूनून अब सर पर छा गया है
दुश्मनों को मिटाने को उबाल लहू में आ गया है
सर पर कफ़न तिरंगा बाँधा है इस वतन के लिए
मिट जाना है इस प्यारे से जानेमन के लिए ।।
Desh bhakti shayari 2 line
इस बार हिमालय की चोटी से
जाके इसको लहराना है,
इसके खातिर जाँ भी दे देंगे
ये हम सबने ठाना है।
सौ जन्मो तक उनके अहसानों को भुला नहीं सकते।
हम सर कटा सकते हैं लेकिन झुका नहीं सकते
खींच दी हैं लकीरें जो अपने जिगर के लहू से
तुम लाख कोशिस करलो इसे मिटा नहीं सकते।
जो सीने में जली है बुझने वाली नहीं है
आग दुश्मनों के लिए है रुकने वाली नहीं है
जान भी कुर्बान कर देंगे इस वतन के लिए
शान अब वतन की अब झुकने वाली नहीं है ।।
जो लहू है जिगर में बह जाने दो
वतन की धरा को सींच जायेंगे हम
रहेगा खिला जब चमन ये हमारा
देखकर इसकी शान मुस्कुराएंगे हम।
अंगारा जल पड़ा है अब सीने में
दुश्मनों के छक्के छुड़ा जायेंगे
इस गर्म लहू के धधकती आग में
उनके सारे अरमान मुरझा जायेंगे ।।
जो फूल था कभी अब अंगारा हो गया ।
ये दुश्मन तेरे खातिर गर्म लहू हमारा हो गया है ।।
हर बरस शहीदों की चिताओं की लौ जलेगी
ये वो आग है जो दुश्मन की जान भी लेलेगी
इसके जद में तुम आने भूल मत करना
मिट जाओगे टकराने की भूल मत करना।
हम फौलादी जिगर वाले हैं
वतन पर खुद को लुटा देंगे
हमसे यूं न टकराना कभी
हस्ती तुम्हारी सब मिटा देंगे ।।
हम बलिदानों के आदी है,
उस हिन्द के फौलाद हैं।
जिस माटी में थे जन्मे भगत सिंह,
हम उस माटी के औलाद हैं ।।
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Shayari desh Bhakti
सींच दू खून से अगर इस चमन के काम आए
काश मेरा लहू भी मेरे वतन के काम आए
न जाने कौनसी घडी आख़री हो हमारी,
ये तन मन धन फिर वतन के कामाआए ।
बलिदानों के खातिर हमने खुद को पाला है
यही तमन्ना गूँज रही है जबसे होश संभाला है
है वतन हमारा दिल में बसता इसकी शान निराली है
आंच नं कोई क्या आयेगी जब हम जैसा रखवाला है ।
है बसंती चमन, इसका नीला गगन
इसकी छटा भी निराली है
हम हैं पहरेदार इसी के
करनी हमें रखवाली है ।।
हिमालय से उंचा रहे सर इसका हमने दिल में ठाना है
रंग दो बसंती चोला मेरा हमको सरहद पर जाना है ।
कोई नजर न इसकी और उठे ऐसे पहरेदारी हो
दुश्मन की छाती पर तिरंगा फिर से लहराना है ।।
जान कुरबां वो जायेगी इस वतन के लिए
रगों में लहू फिर भी रहेगा चमन के लिए ।
मुझे डर नहीं वतन पर मिटने जाने से
हमने तिरंगा चुना है कफ़न के लिए ।।
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जाँ से प्यार वतन है हमारा
हम तो इसके पहरेदार रहेंगे
सौ जनम भी लुटा दें इसके लिए
तब भी हम इसके कर्जदार रहेंगे।
इस देश की मिट्टी के कर्जदार है हम
जान को लुटाने के हकदार है हम
हमसे हमारी हसरत न पूछे कोई
मिट कर भी निभाएंगे वफादार है हम।
मेरे लहू का कतरा-कतार इस चमन से मिले
इसकी शान हो ऊँची और उस गगन से मिले
मेरे लाखो जनम इसके अहसानो पर कम हैं
मौत आये तो सुकून तिरंगा कफ़न से मिले ।।
दिल को छू जाने वाली देशभक्ति शायरी
मेरा लहू काफी है इस चमन के लिए
हम जाँ भी लुटा दें वतन के लिए
दिल अगर रखते है दोतों के लिए
तो खंजर भी रखते है दुश्मन के लिए ।।
सुगंध इस मिट्टी फिजा में बिखर रही है
ये जमी इस वतन को नमन कर रही है
हम इसके खुसबू से सुगन्धित हो रहे हैं
हिन्दुस्तान की सरजमी को चमन कर रही है।।
हम पहरेदार है इसके हम इसके रखवाले है
प्यारे वतन के खातिर हम जाँ भी लुटाने वाले हैं
इसकी हमको हर एक बात निराली लगती है
सौ जीवन कुर्बान हैं इसपर हम ऐसे मतवाले हैं।
हम इस चमन में लहू का रंग भर देंगे
इसके आँगन में खुशिया-2 ही कर देंगे
इसके वाश्ते अपनी जाँ भी लुटा जायेंगे
मुस्कराके खुद को कुर्बान कर देंगे ।।
मेरे रगो का लहू जो तेरे काम आये
काश ऐसा मै कोई काम कर जाता
तेरे शान को यूं ही बनाये रखने के लिए
जंग-ए-मैदान में फिर से उतर जाता।
दुनिया में महकता हुआ चमन चाहता हूँ
शान्ति उन्नति से भरा गगन चाहता हूँ
जान जाए इसके खातिर कोई गम नहीं
बाद मरने के बस तिरंगा कफ़न चाहता हूँ।
जाँ वतन के खातिर निसार हो जाने दे
थोडा ही सही खुद पर ऐतबार हो जाने दे
इस मिट्टी की खुशबू से खुद को महका
इस चमन को और भी गुलजार हो जाने दे।
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Very nice and shaking hert Shayari…
Superb 👍