टॉप 10 शैड शायरी फॉर लाइफ 

अजीब कश्म-ओ-कस कैसी डगर है रास्तों की तलाश है मंजिल बेखबर है कई लम्हे गुजारें हैं महफ़िलो की बीच आज फिर क्यूं मेरा तन्हा सफर है ।।

जाने कैसा सफ़र है इस जिंदगानी का दूर तक दर्द आलम नजर आ रहा है आईने में जो शख्स दिखाई पड़ता है अपनी ही परछाई से अब घबरा रहा है।।

जीने मेरे कुछ कमी सी रही है मौत से मेरी दुश्मनी सी रही है आसमा से मुझेको भीअब गिला है तेरे दामन में भी ए जमी ही रही है।।

तेरे ख्वालों में खोया रहा हरदम तेरे ख्वाब मुझे रात भर जगाते रहे तूने हरपल दर्द से नवाजा मुझे हम भी तेरी महिफिल में आते रहे।।

जीने की तमन्ना अब बदलने लगी है जिन्दगी अब ये हसरत मचलने लगी है रास्तों से उतर कर मंजिलों की तरफ मेरे क़दमों की हसरत चलने लगी है ।।

टूटके के हम टुकड़ों में बिखरने लगे हैं तेरे दर्द से खुद को आजाद करने लगे हैं तेरे संग जख्म गहरे थे ताजा बने हुए थे जबसे साथ तेरा छूटा है ये भरने लगे है।।

जिन्दगी फिर तेरा अहसान चुकाना होगा दर्द के आलम में फिर से मुस्कुराना होगा टूट के अपने दायरे में सिमट जाऊंगा तेरा हर लम्हा अब ऐसे ही बिताना होगा।।