Best Emotional story in hindi| दिल को छु जाने वाली कहानी ।

दोस्तों आज हम आपके साथ साझा कर रहे हैं Emotional story in hindi में जो आपके दिल के गहराइयों को छू जायेगी, यह कहानी अहसास सिलाएगी कि जिम्मेदारी हर किसी को उसके सपने से दूर कर देनी की कोशिस जरूर करती है लेकिन उसके आशाओं को एक दिन किसी न किसी बहाने से पंख जरूर मिलते हैं ।

दोस्तों यह कहानी एक छोटे से शहर की रहने एक लड़की की है जिसका नाम “मानसी” की है जिसकी उम्र अभी 13 वर्ष है, वह अपने कामों को बहुत ही मन लगा कर करती है उसका कारण है इस छोटी सी उम्र में जिम्मेदारी का बोझ का आ जाना, वह रोज सुबह फूल बेचने के लिए बाजार जाया करती है. उसकी माँ घर का खर्च चलाने के लिए लोंगों के कपडे को सिलती है ।

नन्ही सी “मानसी” के कन्धों पर जिम्मेदारी का बोझ ने उसे इस उम्र में इतना जिम्मेदार बना दिया की उसने अपने बचपन की खुशियाँ क्या होती है वह समझ ही नहीं पायी, “मानसी” की पिता की मृत्यु एक गंभीर बिमारी के कारण हो गया था, जिस कारण उसने अपनी माँ के बोझ को कम करने के लिए उसने फूल बेचने का काम सुरु कर दिय दिया था ।

वह हर सुबह भोर होने से पहले ही घर के पास लगे फूलों को तोड़कर आस-पास के पास जाकर उन फूलों को बेचती, और जो पैसे मिलते उसे वह अपने माँ को लाकर दे देती ।

“मानसी “छोटी  तो थी लेकिन उसके सपने बहुत ही बड़े थे, उसे पढ़ने-लिखने का बहुत सौक था, उसके मन में भी एक नन्हा सा बचपन जो चहक रहा था, वह सपने पड़ोस के बच्चों को स्कूल जाते देख दरवाजे पर कड़ी होकर निहारती रहती, सोचती मेरे पापा अगर आज होते मै भी स्कूल जाती, अच्छे-अच्छे कपडे पहनती, और ना जाने क्या क्या सोंचती रहती ।

“ मानसी” के सपने

एक दिन वह फूलों को बेचकर घर को लौट रही थी, उसकी नजर स्कूल की कहली खिड़की पर पड़ती है, वह वहीँ तहर जाती है, खिड़की से झाँक कर देखती है कि उसकी उम्र के बच्चों को टीचर अच्छी बातें सिखा रहे हैं, कुछ बच्चे मुस्कुरा रहे हैं खिलखिला रहे हैं  “सोचने लगी काश मेरे पापा आज होते तो मै भी इन सभी के साथ.. यह सोचते ही मानसी के आँखों में आंसूं आ गए । वह घर की और चल पड़ी, उसके मन में बस एक ही ख्याल था, “मुझे पढ़ने का मौका कब मिलेगा”

मानसी रोज की तरह फूलो को बेचने बाजार गयी हुयी थी, उससे फूल खरीदने के लिए एक व्यक्ति आते हैं और फूल लेने के बहाने मानसी से उसका नाम पूछते हैं, वो व्यक्ति पहले अध्यापक रह चुके थे अब रिटायर हो चुके हैं, मानसी से पूछते हैं, बेटा, तुम्हे पढने का का मन नहीं करता हो तुम इस उम्र में फूल बेचने आई हो, तुम्हारे मम्मी पापा कहाँ हैं, यह सुनकर “मानसी” की आँखों में आसूँ आ गये.

नन्ही सी गुड़िया की आखों में आंसूं देख उस व्यक्ति ने उसके सर को सहलाते हुआ पूंछा “क्या बात है बेटा, रो क्यों रही हो, “मानसी” ने कहा अंकल जी मुझे पढने का बहुत मन करता है लेकिन मै कुछ नहीं कर सकती, मेरे पापा इस दुनिया में अब नहीं हैं ।

उस व्यक्ति को लगा कि इस बेटी को पढने की इच्छा है, शायद इसके घर के हालत ठीक नहीं है इस लिए यह रोज फूल बेचने का काम करती है ।

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