दोस्तों गज़ल प्रेम की कविता या दर्द की कविता का स्वरुप है जो मूल रूप से अरबी है, गजल Gazal अक्सर अपने प्रेमी की याद उसकी सराहना, जुड़ाव, अलगाव, श्रिंगार, दर्द विदारक आदि के विषय पर रचे जाते हैं, इसमें गजलकार अपनी भावनावों को अपनी रचनाओं में बखूबी उकेरता है ।
दोस्तों इसी कड़ी में हम अपने पाठको के लिए लाये हैं कुछ बेहतरीन hindi gazal shayari गजलें जो आपके मन मस्तिस्क को एक अलग अहसास दिलाएगीं, दिल की बातों के सिवा एक गजलकार के पास और बहुत कुछ होता हैं कहने के लिए , ख़ास किसी मौके पर ही नहीं अलग अलग समय में उके मन की बात कोरे कागज पर आ ही जाती है ।
Hindi gazal shayari in hindi
रात की तनहाइयों से खुद बाते करते हैं
कभी जीने की सोचते हैं गमो से डरते हैं
कोई देता नहीं साथ जिन्दगी के सफर में
तनहाइयों में अक्सर दिन-रात चलते हैं ।।
जाने कहाँ होगी मंजिल आसमानों से आगे
पर ख्वाबों में अक्सर उसे ही पुकारते है।
बड़ी उम्मीद है कोई मिल जायेगा सफर में
यही सोचकर हम तो घर से निकलते हैं ।।
रात की तनहाइयों में खुद से बाते करते हैं।
मेरी हालत है उन मुश्फिरों की तरह
जो लम्बे सफ़र में हर रोज गुजरते हैं
कोई लूट न जाए हमको आकेला पाकर
बस इसी ख्याल से हर वक्त डरते हैं ।।
ठहरता हूँ जब थक के चूर हो जाता हूं
अपने ही क़दमों से मजबूर हो जाता हूँ
रोकते हैं हमको ये फिर भी चलते हैं
गिरते ठोकरों से फिर गिरके सँभालते हैं
रात की तनहाइयों में खुद से बाते करते हैं।
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मंजिल है कहीं दूर नजर आती नहीं है
इसकी चाहत मेरे दिल से जाती नहीं है
मिलने की तम्मना के ख्याल उभरते हैं
इन्तजार की हद से आगे इन्तजार करते हैं।
Sad gazal in hindi
चारो तरफा धुंआ है मजिंल दिखाई नहीं देती
आते जाते हैं लोग मगर आहट सुनाई नहीं देती
उठती हुई लौ से धुंआ निकल रहा है
जलती आग क्यों किसी को दिखाई नहीं देती
चारो तरफ धुंआ हैं मंजिल दिखाई नहीं देती…
जलती ही जा रही है ए बुझती नहीं है
ये वो आग है किसी से कुछ पूछती नहीं है
कि कसी का क्या-2 जल रहा है
क्या ढूढ़ते हो जो नहीं मिल रहा है
लगी है ऐसे कि बुझाई नहीं जाती
चारो तरफ धुंआ है मंजिल दिखाई नहीं देती
चलने लगी है हवा तूफ़ान बनकर
ख़ाक हो रहा है यहाँ पर सब जल कर
वो भी जल गया जो इस आग में रह गया है
रूठा है रब मुझसे उसे मेरी चीख सुनाई नहीं देती
चारो तरफ धुंआ है मंजिल दिखाई नहीं देती
जलने को तो सारे सामान जल गए हैं
बस दिल के मेरे अरमान रह गए है
अब तो बुझाने वाले मुझसे कह रहे है
ये आग अब मुझसे बुझाई नहीं जाती
चारो तरफा धुंआ है मजिंल दिखाई नहीं देती
मेरे यारो ये कैसी जिंदगी है
जो हस कर बिताई नहीं जाती
दर्द की किसी दास्ताँ है
किसी से सुनाई नहीं जाती
चारो तरफा धुंआ है मजिंल दिखाई नहीं देती
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Nice blog