यकीन कर तू बदल सकता है, अपनी किस्मत की लकीरों को । लिखने वाले खुद ही लिखते हैं, आजकल अपनी तकदीरों को ।
हौसला है तुझमे उड़ान भर, सारा आसमान तुझे निहारता है गर बुलंद हैं इरादे तो बदल देगा, मंजिल राही को ही पुकारता है ।।
खींच अपने किस्मत की लकीरों को तेरी अथेली इसका तलबगार रहेगी छोड़ दरिया को समंदर तलाश कर अबतो तेरी कश्ती भी उस पार रहेगी ।।
उड़ तू और भी तेरी उड़ान बाकी है इक दिल ही टूटा है जान बाकी है उसके जाने की परवाह क्यों करता है तेरे खुद की अभी पहचान बाकी है ।।
अगर बुलंद हों किसी के इरादे तो किस्मत को बदल सकता है तोड़ दे दुनिया के हर बंधन को तू सबसे आगे निकल सकता है ।।
खुद पर तुम ऐतबार करो, बदल सकते हो अपनी तकदीरों को कोशिशो से मुकाम मिलता है, कुरेदो मत हाथ की लकीरों को।
हवावों से कह दो रुख बदल ले अपना मेरे रफ़्तार से टकराकर बिखर जाएगीं हम आधियों से उलझ कर आ गए हैं मेरे सामने ये कहाँ ठहर पाएंगी ।।