तेरे इश्क की गली से नजर हटती नहीं है
बेचैन हो रात हूँ रात कटती नही है,
परिंदों की तरह परवाज करना है मुझे
लेकिन धुंध तेरे चाहत की छटती नहीं है
तेरे इश्क की गली से नजर हटती नहीं है
बेचैन हो रात हूँ रात कटती नही है,
परिंदों की तरह परवाज करना है मुझे
लेकिन धुंध तेरे चाहत की छटती नहीं है