देख कर दिल को चैन मिलता है तुमसे मिलके नजरों को सुकून, तुम ही मेरी चाहत हो आशिकी हो तुम ही मेरे दिल का जूनून।
तुझसे मिलते तो इतनी दूरी नहीं होती, अगर हमारी भी मजबूरी नहीं होती, मिलने की चाह फिर से जगी है दिल में, मगर क्या करूं जानेमन तमन्ना पूरी नहीं होती
इंतज़ार रहता जिस तरह सितारों का इस आसमान को उन हजारों का, तेरी चाह में रात गुजारनी है मुझे करना क्या इन टिमटिमाते तारों का
आशिकी का नशा चढ़ने लगता है शाम ढलते ही बढ़ने लगता है तेरा सुरूर उतरता है नहीं सुबह तक दिल फिर से मिलने को तड़पने लगता है।
दिल चाहता है रात भर बात करू तुझसे आज ख्वाबों में मुलाकात करूं तू आके मुझमे अपना सुरूर भरदे मै तुझमे अपने दिल के जजबात भरूं
तेरी जुल्फों के काले बादल में, मै सितारा बनके खो जाना चाहता हूँ, इस हसी लम्हे को पाने के लिए रात भर के लिए तेरा हो जाना चाहता हूँ।
मै तुम्हारी बात चाँद-सितारों से करता हूँ दो चार नहीं हजारों से करता हूँ ये खुमार है तेरे इश्क का उतरता नहीं पूरी रात जागता हूँ जाने कब सोता हूँ।
दिल चाहता है हद से गुजर जाने को तुझसे मिलके तुझमे उतर जाने को रातों की बातों से सुकून नहीं मिलता दिल करता कुछ कर जाने को ।