वतन के लिए जाँ तक लुटा देंगे हम,
अय दुश्मन तेरी हस्ती मिटा देंगे हम।
जो डाली नजर कभी इधर के तरफ,
तुझको दुनिया के नक़्शे से हटा देंगे हम।।
मेरा शान मेरा अभिमान है,
ये तिरंगा नहीं मेरी पहचान है।
इसको झुकाने के कोशिस न कर ,
यही चाहत है मेरी यही जान है ।।
कतरा-कतरा लहू का इस चमन के लिये है,
सांस है जो सीने में इस वतन के लिए है।
मै मर कर भी इसको झुकने न दूंगा,
ये तिरंगा जो मेरे कफ़न के लिए है ।।
कुछ याद उन्हें भी किया किया करो,
जिनके कुर्बानियों से ये मुकाम आया है।
वो कितने खुशनसीब रहे होंगे,
जिनका लहू वतन के काम आया है।।