उसकी नजर ही काफ़ी है, मेरी नजर के लिए ।
वो एक नजर देखती है मुस्करा के चली जारी है ।
एक अहसान से करती है जो मुझको नजर आती है ।।
ख्याल दिल से निकलकर न जाने किधर चल दिए
हम आये इधर, तो ओ उधर चल दिए
इतनी बे-रुखी, न जाने क्यूं है उनके दिल में
हमको देखा एक नजर, और अपनी डगर चल दिए
ख्याल आते हैं दिल में, मगर वो आते नहीं ,
इस तरह रूठे है कि फिर मुस्कराते नहीं
न जाने कौन सी खता हो गयी है हमसे,
मिलतें हैं लेकिन हाल-ए-दिल सुनाते नहीं