न तेरा कसूर था, न मेरा कसूर था ।

Add a little bit of body text

न तेरा कसूर था, न मेरा कसूर था ।
तू मुझसे दूर थी, मै तुझसे दूर था ।।

मिलने को दिल कई दिनों से बेताब था।
तेरे दीदार की तड़प में चूर था ।।
न तेरा कसूर था,…………….

नजर से नजर मिली दिल में उतर गए थे ।
एक पल ठहरे थे, जख्म कर गए थे ।।
भरता नहीं किसी मरहम से जख्म मेरा,
जख्म जो दिया है दिल क्या कसूर था।।

चाहतों से ज्यादा चाहूँगा 1

हाल-ए-दिल हमारा बस तुमसे हुआ है,
न मिलते न तड़प का अहसास होता।
खुद की नजर में न ही मै गिरता,
और दिल मेरा आज हमारे पास होता।।

दास्ताने मोहब्बत का हिस्सा बन गया हूँ।
कोई बजूद न रहा, किस्सा बन गया हूँ।।
जो दिया है तूने उम्र भर खो नहीं सकता।
इससे ज्यादा अहसान मुझ पर हो नहीं सकता ।।

मुझे मेरे हाल पर छोड़कर जाने वाले,
तुझे क्या मिला इस तरह दिल लगाने से।
मै नादान था तुझको न समझ पाया,
अब सिकायत क्या करूं इस जमाने से ।।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top