इन्तजार के सहारे जिए जा रहा हूँ
ये कैसी दिल्लगी मै किये जा रहा हूँ ।।
मुझको तेरे इन्तजार सिला मिल गया है,
एक तरफ़ा प्यार का सिला मिल गया है।।
कभी नजरो से ओझल नहीं होने दूंगा।
जमाने के भीड़ में नहीं खोने दूंगा ।।
ये इश्क का सफर है जरा साथ चलना,
जुदा तुझको खुद मै नहीं होने दूंगा ।।
तू चाहकर भी मुझको भुला न सकेगी ।
किसी गैर से दिल फिर लगा न सकेगी ।
तू रुशवा एक दिन भरे बाजार होगी,
तब तुझको मेरी मोहब्बत का अहसास होगा।
ज़माने में मुझको बदनाम करके ,
मिला क्या तुझको ये काम करके ।
फिर न दिल लगाने की कोई चाह होगी,
तुझ से जुदा अब मेरी राह होगी ।।