बस जीना-मरना है प्यारे वतन के लिए

रहे आजाद यूं लहराता हुआ ये देश सुकून मिलता है l 2

बस जीना-मरना है प्यारे वतन के लिए,
लहू का हर कतरा है इस चमन के लिए।
इसकी शान ही हमारी पहचान है,
इस पर लाखों जनम भी कुर्बान है।
हस्ते-हस्ते खुद को मिटा देंगे हम,
बस तिरंगा मिले जो कफ़न के लिए।
जीना मरना है प्यारे वतन के लिए।।

आजादी जो मिली है संभालो इसे,
गद्दारों की नजर से बचालो इसे ।
है देश प्रेम तो दिखायाया करो,
वतन के कभी काम तो आया करो।
मिट गए तो भी एक पहचान होगी,
वरना क्या है जीना सोहरत-धन के लिए
बस जीना-मरना है प्यारे वतन के लिए।।

तेरे शान के खातिर

सरहदों पर हम इसके निगेहवान हैं,
कोई नजर न इधर उठाया करो।
चाहते हो गर जीना कुछ पल के लिए,
तो हद से बाहर न आया करो ।।

हम बलिदानों के आदी है,
उस हिन्द के फौलाद हैं।
जिस माटी में थे जन्मे भगत सिंह,
हम उस माटी के औलाद हैं ।।

आजादी को चली मनाने आजादों टोली है,
आज ही है ईद-दिवाली आज ही होली है।।
तीन रगों से सजा हुआ हिदुस्तान हमारा है,
इस तिरंगे के खातिर कितनो से जान वारा है।।

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