बड़ी मुश्किलों से दिल को संभाला

खुली किताब हूँ समझ न कि कोई राज हूँ तू कल जिसे मिला था बस वही भी आज हूँ 1

बड़ी मुश्किलों से दिल को संभाला,
हर दर्द को अपने सीने में पाला ।।
जख्म गहरे बहुत थे मगर
जख्मो को हमने सिंया ही नहीं ।।

मिलती रही जिन्दगी हर मोड़ पर
हमले शिकायत किया ही नहीं ।
सुबह-शाम दर्द से गुजर किये,
अहसान उनका लिया ही नहीं ।।

हालात हमसे हमारे न पूछों,
मोहब्बत के बारे में हमसे न पूछों ।
गुजरे पलों ने दिए लाखों गम,
आँखों को नम हमने किया ही नहीं ।।

भूल ही जाता उसकों,पर भुला न पाऊं
बता मेरे दिल उसको कैसे भुलाऊं ।।
भुला के उसको मै कैसे जिऊंगा,
उसके बिना एक पल जिया ही नहीं।।

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मौसम बहारों का फिर न मिलेगा,
गुल कोई शायद फिर से खिलेगा।।
अब भी अहसास दिल के मचल जाते हैं,
तुझे सोचता हूँ तो आँसू निकल आते हैं
इन पलकों में रख लूं आ बेरे ख्वावों में,
इन आखों  को और कोई जचा ही नहीं।

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